गोवा राज्य का दर्जा दिवस

गोवा राज्य का दर्जा दिवस

गोवा, भारतीय प्रायद्वीप के पश्चिमी तट पर स्थित है। गोवा राज्य, उत्तर में महाराष्ट्र राज्य, पूर्व व दक्षिण में कर्नाटक राज्य और पश्चिम में अरब सागर से घिरा है और पणजी गोवा की राजधानी है। गोवा का क्षेत्रफल 3,702 वर्ग किलोमीटर है, यह समुद्र तट की ओर एक द्वीपयुक्त शहर है, जो मुंबई से 400 किलोमीटर की दूरी पर दक्षिण में मुख्यभूमि में स्थित है। गोवा क्षेत्रफल में भारत का सबसे छोटा और जनसंख्या के हिसाब से दूसरा सबसे छोटा राज्य है। पूरी दुनिया में गोवा अपने ख़ूबसूरत समुद्र के किनारों और मशहूर स्थापत्य कला के लिये जाना जाता है। गोवा पहले पुर्तग़ाल का एक उपनिवेश था। पुर्तग़ालियों ने गोवा पर लगभग 450 साल तक शासन किया और दिसंबर, 1961 में यह भारतीय प्रशासन को सौंप दिया गया। और सन् 1987 ई. से गोवा को राज्य का दर्जा मिला। इसके उत्तर में तेरेखोल नदी बहती है जो गोवा को महाराष्ट्र से अलग करती है। इसके दक्षिण में कर्नाटक का उत्तर कन्नड़ ज़िला और पूर्व में पश्चिमी घाट और पश्चिम में अरब सागर है। पणजी, मडगाँव, वास्को, मापुसा, तथा पोंडा राज्य के प्रमुख शहर हैं।

इतिहास
गोवा प्राचीनकाल में गोमांचल, गोपकपट्टनम, गोपपुरी, और गोमांतक आदि कई नामों से विख्यात रहा है। इस प्रदेश की लंबी ऐतिहासिक परंपरा रही है। गोवा पश्चिमी समुद्र तट पर स्थित भूतपूर्व पुर्तग़ाली बस्ती है, जो 1961 से भारत का अभिन्न अंग बन गई। गोवा अतिप्राचीन नगर है।

वास्को द गामा
वास्को द गामा एक पुर्तग़ाली नाविक थे। वास्को द गामा के द्वारा की गई भारत यात्राओं ने पश्चिमी यूरोप से केप ऑफ़ गुड होप होकर पूर्व के लिए समुद्री मार्ग खोल दिए थे। इन्होंने विश्व इतिहास के एक नए युग की शुरुआत की थी। यह यूरोपीय खोज युग के सबसे सफल खोजकर्ताओं में से एक है, और यह यूरोप से भारत सीधी यात्रा करने वाले जहाज़ों के कमांडर थे। वास्को द गामा ने पुर्तग़ाल को एक विश्व शक्ति बनाने में भी मदद की थी।

उल्लेख
महाभारत में गोवा का उल्लेख 'गोपराष्ट्र' अर्थात् 'गाय चराने वालों का देश' के रूप में मिलता है। दक्षिण कोंकण का उल्लेख गोवा राष्ट्र के रूप में मिलता है। संस्कृत के कुछ प्राचीन स्रोतों में गोवा को 'गोपकपुरी' और 'गोपकपट्टन' कहा गया है जिनका उल्लेख अन्य ग्रंथों के अलावा 'हरिवंशम्' और स्कन्द पुराण में प्राप्त होता है। गोवा को बाद में कहीं कहीं 'गोअंचल' भी कहा गया है। अन्य नामों में गोवे, गोवापुरी, गोप का पाटन, और गोमंत प्रमुख हैं। टॉलमी ने गोवा का उल्लेख ईस्वी सन् 200 के लगभग 'गोउबा' के रूप में किया है। अरब के मध्ययुगीन यात्रियों ने इसे 'चंद्रपुर' और 'चंदौर' का नाम दिया है जो मुख्य रूप से एक तटीय नगर था। जिस स्थान का नाम पुर्तग़ालियों ने गोवा रखा वह आज का छोटा सा समुद्र तटीय शहर 'गोअ-वेल्हा' है। कालान्तर में उस क्षेत्र को गोवा कहा जाने लगा जिस पर पुर्तग़ालियों ने क़ब्ज़ा किया।

रचना
जनश्रुति के अनुसार गोवा जिसमें कोंकण क्षेत्र भी है और जिसका विस्तार गुजरात से केरल तक माना जाता है, की रचना परशुराम ने की थी। कहावत है कि परशुराम ने एक यज्ञ के दौरान अपने बाणों की वर्षा से समुद्र को कई स्थानों पर पीछे धकेल दिया था। लोगों का कहना है कि इसी वजह से आज भी गोवा में बहुत से स्थानों का नाम वाणावली, वाणस्थली इत्यादि है। उत्तरी गोवा में हरमल के पास आज भी भूरे रंग के एक पर्वत को परशुराम के यज्ञ करने का स्थान माना जाता है।

गोवा मुक्ति दिवस


'गोवा मुक्ति दिवस' प्रति वर्ष '19 दिसम्बर' को मनाया जाता है। भारत को यूं तो 1947 में ही आज़ादी मिल गई थी, लेकिन इसके 14 साल बाद भी गोवा पर पुर्तग़ाली अपना शासन जमाये बैठे थे। 19 दिसम्बर, 1961 को भारतीय सेना ने 'ऑपरेशन विजय अभियान' शुरू कर गोवा, दमन और दीव को पुर्तग़ालियों के शासन से मुक्त कराया था।

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