COMPANY AND COMPENSATION LAW
B.COM 2NDYEAR –MOST IMPORTANT QUESTIONS
SOL DU / IGNOU EXTERNAL
कर्मचारी राज्यबीमा निगमकी शक्तियों एवं कर्त्तव्यों की व्याख्या करें।
Describe the powers and duties of Employees ' State Insurance Corporation.
कर्मचारी राज्य बीमा निगम की शक्तियाँ(Powers of the Employees ' State Insurance Corporation ( ESI Corporation) - कर्मचारी राज्य बीमा निगम को निम्नलिखित शक्तियाँ प्राप्त हैं :
1.आवश्यक अधिकारियों एवं कर्मचारियों की नियक्ति करना ( Employment of Staff of Officers and Others ) - निगम अपने कार्यों को दक्षतापूर्वक संचालित करने के लिए आवश्यक सभी अधिकारियों तथा कर्मचारियों की नियक्ति कर सकता है ।
2.सम्पत्तियाँ धारितकरना , बेचनातथा हस्तान्तरित करना ( To acquire , Hold and Sell Properties - केन्द्रीय सरकार द्वारा निर्धारित शर्तों के अनुरूप निगम किसी भी चल या अचल सम्पत्ति धारित कर सकता है , उसे रख सकता है . बेच सकता है या हस्तान्तरित कर सकता है इसके अतिरिक्त निगम वह अन्य सभी कार्य भी कर सकता है जो इसकी स्थापना के उद्देश्यों की पूर्ति के लिए आवश्यक हैं ।
3.धन काविनियोग ( Investment of Fund ) - केन्द्रीय सरकार द्वारा निर्धारित शर्तों के अनुरूप निगम समय - समय पर अपनी तात्कालिक आवश्यकताओं से अधिक उपलब्ध धन का विनियोग तथा पुनः - विनियोग कर सकता है तथा उसकी वसूली भी कर सकता है ।
4.ऋण लेनातथा ऋणचुकाना ( Take and Discharge Loan ) - निगम केन्द्रीय सरकार की पूर्वानुमति से तथा निर्धारित शतों के अनुरूप आवश्यकतानुसार ऋण ले सकता है तथा इसके भगतान । | के लिए आवश्यक पग भी उठा सकता है
5.कोष कानिर्माण ( Creation of Funds )- निगम अपने कर्मचारियों या कर्मचारियों के किसी वर्ग के हित के लिये भविष्य निधि या अन्य किसी प्रकार के कोष की स्थापना कर सकता है ।
6.सम्पत्तियों परअधिकार ( Right to Properties ) - निगम की स्थापना से पूर्व निगम के लिये अधिग्रहीत सम्पत्तियों पर निगम का अधिकार होगा तथा इनसे हुई आय तथा इन पर हुए खचों का लेखा निगम की पुस्तकों में रखा जायेगा ।
7.निरीक्षक कीनियुक्ति ( Appointment of Insepector ) - निगम , जिन्हें उचित समझे , अधिनियम के उद्देश्यों के लिए निरीक्षक नियुक्त कर सकता है । उनका कार्य - क्षेत्र उस स्थानीय सीमा तक होगा , जो उनके लिए निर्धारित की जाएगी ।
8.अंशदान निर्धारित करना ( Determination of Contribution ) - निगम किसी भी कारखाने के लिए देय अंशदान ( Contribution ) का निर्धारण कर सकता है , यदि उस कारखाने / प्रतिष्ठान सम्बन्ध में कोई प्रतिवेदन प्राप्त नहीं हुआ है या उसने कोई रजिस्टर , विवरण या अभिलेख प्रस्तुत नहीं किया है । निगम ऐसा आदेश जारी करने से पूर्व कारखाने या संस्थान के स्वामी या प्रभारी व्यक्ति को सुनवायी का उचित अवसर अवश्य देगा ।
9.इस अधिनियम में निर्दिष्ट लाभों की योजना को निष्पादित करना ।
10.बीमित व्यक्तियों के स्वास्थ्य एवं कल्याण में सुधार के लिये प्रयत्न करना ।
11.असमर्थ या दुर्घटनाग्रस्त बीमित व्यक्तियों के पुनर्वास या पुनः नियोजन के लिए उपाय करना ।
12.इन समस्त कार्यों , प्रयासों तथा उपायों के लिए केन्द्र सरकार द्वारा निर्धारित सीमाओं में निगम के कोषों में से खर्च करना ।
निगम के कर्त्तव्य ( Duties of ESI Corporation ) - निगम के प्रमुख कर्त्तव्य निम्नानुसार हैं :
1.बजट तैयारकरना ( Preparation of Budget ) - निगम प्रतिवर्ष अपना बजट तैयार करेगा , जिसमें आगामी वर्ष की सम्भावित प्राप्तियों तथा प्रस्तावित खर्चों का उल्लेख किया जाएगा । निगम इस बजट की एक प्रति केन्द्रीय सरकार के अनुमोदन के लिए सरकार द्वारा निर्धारित तिथि से पूर्व भेजेगा ।
2.लेखे रखना( Maintaining Accounts - निगम अपनी आय तथा व्ययों का सही-सही लेखा उस प्रारूप तथा विधि से रखेगा जो केन्द्रीय सरकार द्वारा निर्धारित की जायेगी।
3.लेखों काअंकेक्षण अकक्षण (Audit) - निगम के खातों का वार्षिक अंकेक्षण भारत के महालेखा परासर ( Comptroller and Auditor General of India - CAG ) द्वारा किया जाएगा । इस सन्दर्भ में उसके द्वारा जो कोई खर्चा किया जायेगा , उसका भुगतान निगम द्वारा किया जाएगा ।
4.केन्द्रीय सरकारको अंकेक्षण रिपोर्ट भेजना(Forwarding Audited Report to tennal Government ) - निगम के लेखों के अंकेक्षण के सम्बन्ध में नियंत्रक तथा महालेखा परीक्षक से प्राप्त रिपोर्ट को निगम अपनी टिप्पणियों के साथ केन्द्रीय सरकार को भेजेगा ।
5.वार्षिक प्रतिवेदन तैयार करकेन्द्रीय सरकारको प्रस्तुत करना ( Submission of Annual Report to the Central Government ) - निगम प्रतिवर्ष अपने कार्यों एवं गतिविधियों की वार्षिक रिपोर्ट केन्द्रीय सरकार को प्रस्तुत करेगा।
6.सम्पत्तियों तथादायित्वों कामूल्याकंन करना( Valuation of Assets and Liabilities )- 2010 के अधिनियम के अनुसार निगम को तीन वर्षों के अन्तराल से अपनी सम्पत्तियों एवं दायित्वों का मूल्याकंन करवाना पड़ता है । यह मूल्यांकनकर्ता केन्द्रीय सरकार के अनुमोदन से नियुक्त किया जाना चाहिये ।ता है ।
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