बुद्ध पूर्णिमा

बुद्ध पूर्णिमा

बुद्ध पूर्णिमा वैशाख मास की पूर्णिमा को मनाई जाती है। इसे 'बुद्ध जयंती' के नाम से भी जाना जाता है। यह बौद्ध धर्म में आस्था रखने वालों का एक प्रमुख त्यौहार है। पूर्णिमा के दिन ही गौतम बुद्ध का स्वर्गारोहण समारोह भी मनाया जाता है। मान्यता है कि इसी दिन भगवान बुद्ध को 'बुद्धत्व' की प्राप्ति हुई थी। आज बौद्ध धर्म को मानने वाले विश्व में 50 करोड़ से अधिक लोग इस दिन को बड़ी धूमधाम से मनाते हैं। बुद्ध पूर्णिमा के दिन दान-पुण्य और धर्म-कर्म के अनेक कार्य किए जाते हैं। यह स्नान लाभ की दृष्टि से अंतिम पर्व है। इस दिन मिष्ठान, सत्तू, जलपात्र, वस्त्र दान करने तथा पितरों का तर्पण करने से बहुत पुण्य की प्राप्ति होती है।

सत्य विनायक पूर्णिमा
यह 'सत्य विनायक पूर्णिमा' भी मानी जाती है। भगवान श्रीकृष्ण के बचपन के दरिद्र मित्र ब्राह्मण सुदामा जब द्वारिका उनके पास मिलने पहुंचे तो श्रीकृष्ण ने उनको सत्यविनायक व्रत का विधान बताया। इसी व्रत के प्रभाव से सुदामा की सारी दरिद्रता जाती रही तथा वह सर्वसुख सम्पन्न और ऐश्वर्यशाली हो गया। इस दिन धर्मराज की पूजा करने का विधान है। इस व्रत से धर्मराज की प्रसन्नता प्राप्त होती है और अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता। वैशाख की पूर्णिमा को ही भगवान विष्णु का नौवाँ अवतार भगवान बुद्ध के रूप में हुआ था। इसी दिन भगवान बुद्ध का निर्वाण हुआ था। उनके अनुयायी इस दिवस को बहुत धूमधाम से मनाते हैं।

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