मातृ दिवस / मदर्स डे
इतिहास
मातृ दिवस का इतिहास सदियों पुराना एवं प्राचीन है । यूनान में बसंत ऋतु के आगमन पर रिहा परमेश्वर की माँ को सम्मानित करने के लिए यह दिवस मनाया जाता था । 16वीं सदी में इंग्लैण्ड का ईसाई समुदाय ईशु की माँ मदर मेरी को सम्मानित करने के लिए यह त्योहार मनाने लगा । ' मदर्स डे ' मनाने का मूल कारण समस्त माओं को सम्मान देना और एक शिशु के उत्थान में उसकी महान् भूमिका को सलाम करना है । इस को आधिकारिक बनाने का निर्णय पूर्व अमरीकी राष्ट्रपति वूडरो विलसन ने 8 मई , 1914 को लिया । 8 मई , 1914 में अन्ना की कठिन मेहनत के बाद तत्कालीन अमरीकी राष्ट्रपति वुडरो विल्सन ने मई के दूसरे रविवार को मदर्स डे मनाने और माँ के सम्मान में एक दिन के अवकाश की सार्वजनिक घोषणा की । वे समझ रहे थे कि सम्मान , श्रद्धा के साथ माताओं का सशक्तीकरण होना चाहिए , जिससे मातृत्व शक्ति के प्रभाव से युद्धों की विभीषिका रुके । तब से हर वर्ष मई के दूसरे रविवार को मदर्स डे मनाया जाता है ।
शुरुआत अमेरिका से हुई । वहाँ एक कवयित्री और लेखिका जूलिया वार्ड होव ने 1870 में 10 मई को माँ के नाम समर्पित करते हुए कई रचनाएँ लिखीं । वे मानती थीं कि महिलाओं की सामाजिक ज़िम्मेदारी व्यापक होनी चाहिए। अमेरिका में मातृ दिवस ( मदर्स डे ) पर राष्ट्रीय अवकाश होता है । अलग - अलग देशों में मदर्स डे अलग अलग तारीख पर मनाया जाता है । भारत में भी मदर्स डे का महत्व बढ़ रहा है ।
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