ईद उल फ़ित्र
जानिए क्यों मनाते हैं ईद उल फितर
ईद मनाने की शुरुआत युद्ध ए बद्र के बाद हुई थी । दरअसल पैगंबर हजरत मुहम्मद साहब ने बद्र के युद्ध में फतह हासिल की थी जिसकी खुशी में लोगों ने ईद का त्योहार मनाना शुरू किया। हर साल 2 बार ईद का त्योहार मनाया जाता है जिसमें रमजान के बाद ईद उल फितर और उसके करीब ढ़ाई महीने बाद ईद उल अजहा (बकरीद) का त्योहार मनाया जाता है। चांद देखने के बाद ही ईद की घोषणा की जाती है। इसी वजह से ईद के त्योहार से पहले चांद का काफी ज्यादा महत्व है ।
जानिए चांद देखकर कैसे तय होती है ईद की तारीख
विश्व में हर देश में ईद की तारीख की घोषणा करने का तरीका बेशक अलग हो सकता है लेकिन त्योहार आधिकारिक पुष्टि चांद देखकर ही की जाती है. इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार ईद का चांद देखने की प्रक्रिया होती है। खास बात है कि कभी भी पूरी दुनिया में ईद का त्योहार एक दिन में नहीं मनाया जाता है।
हालांकि सभी देशों में महज एक या दो दिन का ही फर्क होता है। कई देशों के मुस्लिम लोग खुद चांद न देखने के बजाय उन अधिकारियों पर निर्भर होते हैं जिन्हें चांद देखने की जिम्मेदारी दी जाती है। इसके लिए वहां की सरकार अलग कमिटियां भी नियुक्त करती हैं ।
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