COMPANY AND COMPENSATION LAW
B.COM 2NDYEAR –MOST IMPORTANT QUESTIONS
SOL DU / IGNOU EXTERNAL
कर्मचारी क्षतिपूर्ति अधिनियम 1923 का विस्तार एवं प्रवर्तन का क्षेत्र-
State The Extent And Scope Of Application Of The Workmen ' S Compensation Act , 1923 .
कर्मचारी क्षतिपूर्ति अधिनियम श्रमिकों के कल्याण तथा सुरक्षा की दृष्टि से बनाया गया एक महत्त्वपूर्ण अधिनियम है , जो कुछ विशेष प्रकार के श्रमिकों को रोजगार से तथा रोजगार के दौरान । हुई दुर्घटनाओं से उत्पन्न जोखिमों के विरुद्ध सुरक्षा प्रदान करता है । इस अधिनियम का सबसे महत्त्वपूर्ण लाभ यह है कि श्रमिकों को क्षतिपूर्ति को प्राप्त करने के लिए न्यायालयों की लम्बी एवं खर्चीली कानूनी प्रक्रिया से गुजरना नहीं पड़ता है । वास्तव में यह अधिनियम एक ऐसी वैकल्पिक व्यवस्था उपलब्ध कराता है , जिसमें दुर्घटनाग्रस्त श्रमिक या उसके आश्रित इस अधिनियम के अन्तर्गत नियुक्त प्राधिकारी से शीघ्र न्याय एवं सहायता प्राप्त कर सकते हैं । कर्मचारी क्षतिपूर्ति अधिनियम का निर्माण 1923 में किया गया जिस 1 जुलाई 1924 से लागू किया गया । इस अधिनियम में अब तक अनेक बार संशोधन किया जा चुका है ।
अधिनियम का विस्तार एवं लागू होना (Extent and application of the Act) - यह अधिनियम सम्पूर्ण भारत में लागू होता है । यह अधिनियम उन समस्त सेवायोजित/नियोजित ।(employed) व्यक्तियों पर लागू होता है , जिनकी नियुक्ति आकस्मिक प्रकृति (casual nature) की नहीं है तथा जिन्हें नियोक्ता के व्यापार या व्यवसाय के अतिरिक्त किन्हीं अन्य उद्देश्यों के लिए नियुक्त नहीं किया गया है ।
इनके अतिरिक्त यह अधिनियम निम्न पर भी लागू होता है :
( i ) भारतीय रेलवे अधिनियम की धारा 2 ( 34 ) में परिभाषित एक रेलवे सेवक पर , जो किसी प्रशासकीय , जिला अथवा उपमण्डलीय कार्यालय में स्थायी रूप से नियुक्त नहीं है तथा इस अधिनियम में द्वितीय अनुसूची में विनिर्दिष्ट किसी भी पद पर नियुक्त नहीं है ।
( ii ) इस अधिनियम की द्वितीय अनुसूची में वर्णित किसी भी पद पर नियोजित व्यक्तियों पर ।
( iii ) राज्य सरकार द्वारा अधिसूचना जारी कर द्वितीय अनुसूची में जोडे गये व्यक्तियों के उस वर्ग पर , जो किसी खतरनाक उपजीविका (hazardous occupation) में नियोजित हैं । द्वितीय अनुसूची में उन व्यक्तियों की सूची दी गई है , जो श्रमिक की परिभाषा के अन्तर्गत आते हैं । इस अनुसूची के अध्ययन से यह स्पष्ट होता है कि यह अधिनियम कारखानों , खानों , जहाज़ों , नौकायन , बन्दरगाहों , भवन निर्माण , तार - टेलीफोन , रेल तथा रेल डाकसेवा , पेट्रोल तथा गैस , चाय , कॉफी , विद्युत उत्पादन एवं वितरण , फिल्म निर्माण , हवाई जहाजों के निर्माण एवं संचालन एवं रख - रखाव , विद्युत एवं यान्त्रिक शक्ति से किये जाने वाले कार्य , भवनों में बिजली की फिटिंग करने तथा उसमें रिपेयर करने , सरकस आदि में उन सभी पदों पर नियुक्त व्यक्तियों पर लागू होता है , जिन्हें इस अनुसूची में विनिर्दिष्ट किया गया है ।
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