रोजनामचा क्या है ?
रोजनामचा दो शब्दों के संयोग से वना हुआ है । इसमें पहला शब्द रोज है तथा दूसरा शब्द नामचा है । रोज से मतलब प्रतिदिन से होता नामचा से मतलब दर्ज करने से होता है अर्थात लिखने से होता है ।प्रत्येक दिन के लेन-देनों को तिथि अनुसार लिखे जाने को रोजनामचा कहते हैं । व्यवसाय के घटना क्रमों को तिथि अनुसार लिखा जाना रोजनामचा कहलाता है ।बहुत पहले रोजनामचा लिखने का कोई खास तोर तरीका नहीं था, लोग जैसे-तैसे व्यवसायिक लेन-देन को लिखा करता था ।
सन 1494 ई. में इटली के सुप्रसिद्ध विद्वान् ल्यूक्स पेसियोली ने रोजनामचा तैयार करने का विशेष तरीका दिया । उनके द्वारा दिए गए तरीका को दोहरा प्रविष्ठि प्रणाली (Double Entry System) कहा जाता है ।
ल्यूक्स पेसियोली के द्वारा दिए गये तरीका के अनुसार व्यवसायिक घटना को दो-दो जगह लिखा जाता है । एक जगह को डेबिट (Debit) कहा जाता है तथा दूसरे जगह को क्रेडिट (Credit) कहा जाता है ।
रोजनामचा (Journal) के लाभ क्या है ?
तिथिवार लेन-देनों का विवरण प्राप्त होना - जर्नल में लेन-देनों की प्रविष्टि तिथिवार की जाती, अतः लेन-देनों का विवरण तिथिवार मिल जाता है।
खतौनी की सुविधा - जर्नल से खाताबही में खोले गए विभिन्न खातों में खतौनी करने से सुविधा होती है।
लेन-देन का पूर्ण विवरण मिलना - जर्नल में लेन-देनों की प्रविष्टि के साथ-साथ सौदे का संक्षिप्त विवरण व्याख्या के रूप में दिया जाता है।
अशुद्धियों की कम सम्भावना - जर्नल में सौदे के दोनों रूप यानी डेबिट या क्रेडिट की प्रविष्टियाँ साथ-साथ की जाती हैं। इससे अशुद्धियों की संभावना कम हो जाती है।
झगड़ों का निपटारा - जर्नल व्यापारिक झगड़ों व मतभेदों को निपटाने में भी मदद करते हैं।
रोजनामचा के उद्देश्य क्या है ?
रोजनामचा (Journal) के निम्नलिखित उद्देश्य हैं -
जर्नल का उद्देश्य सभी लेन-देनों का लेखा सिलसिलेवार व तिथिवार रखना है।
दोहरा लेखा प्रणाली में प्रत्येक लेन-देन के दो पक्ष होते हैं, जर्नल हमें बताता है कि किस खाते को Debit किया जाए और किस खाते को Credit ।
जर्नल का तीसरा उद्देश्य लेजर या खाताबही में खतौनी करने में सुविधा प्रदान करना है।
जर्नल का चौथा उद्देश्य सौदे के संबंध में जानकारी प्रदान करना है।
जर्नल का पाँचवाँ उद्देश्य विवादों व मतभेदों को हल करने में सहायता प्रदान करना है।
रोजनामचा में लेखा करने के नियम क्या है ?
व्यक्तिगत खातों के लिए रोजनामचा में लेखा करने के नियम (Rules Of Journalising For Personal Accounts)
पाने वाले के खाते को डेबिट करें (Debit The Receiver)देने वाले के खाते को जमा करें (Credit The Giver)
उदाहरण :-
रमेश को 1000 रुपया दिए, यहाँ पर रमेश का खाता व्यक्तिगत खाता है, रमेश पाने वाला है अतः रमेश के खाते को डेबिट किया जाएगा।
विवेक से 800 रुपया मिले। यहाँ विवेक देने वाला है अतः विवेक के खाते को क्रेडिट किया जाएगा।
वास्तविक खातों के लिए रोजनामचा में लेखा करने के नियम (Rules Of Journalising For Real Account)
आने वाली वस्तु /सम्पत्ति के खाते को डेबिट करें (Debit What Comes In)
जाने वाली वस्तु/सम्पत्ति के खाते को क्रेडिट करें (Credit What Goes Out)
उदाहरण :-
जब सौदे का एक रूप वास्तविक खाता तथा दूसरा रूप व्यक्तिगत खाता हो तो
निशांत से ट्रैक्टर खरीदा। इस लेन-देन में ट्रैक्टर को डेबिट किया जाएगा क्योंकि ट्रैक्टर आता है। निशांत के खाते को जमा करेंगे।
जब सौदे के दोनों पक्ष वास्तविक खाता होनकद माल क्रय किया। इस लेन-देन के दो पक्ष हैं - नकद यानी रोकड़, माल।माल आने वाली वस्तु है इसलिए माल को डेबिट किया जाएगा। रोकड़ जाने वाली वस्तु है इसलिए रोकड़ को क्रेडिट करेंगे।
सौदे का एक पक्ष वास्तविक खाता, दूसरा अवास्तविक खाता हो तब।
वेतन का भुगतान किया। वेतन अवास्तविक खाता है और रोकड़ वास्तवित खाता। रोकड़ जाने वाली वस्तु है, इसलिए इसे क्रेडिट करेंगे और वेतन खर्च है इसलिए इसे डेबिट करेंगे।
अवास्तविक खाते के लिए रोजनामचा में लेखा करने के नियम (Rules Of Journalising For Nominal Account)
समस्त व्यय तथा हानियों को डेबिट करें (Debit all expenses and losses)
समस्त आय तथा लाभों को क्रेडिट करें (Credit all gains and profits )
उदाहरण :-
वेतन का भुगतान किया। वेतन अवास्तविक खाता है। यहाँ वेतन व्यय है। वेतन का भुगतान नकद किया जाता है। रोकड़ वास्तविक खाता है और वह जाने वाली वस्तु है इसलिए वेतन को डेबिट तथा रोकड़ को क्रेडिट किया जाएगा।
ब्याज प्राप्त किया। ब्याज अवास्तविक खाता है और यह आय है इसलिए यहाँ ब्याज को क्रेडिट किया जाएगा और नकद या रोकड़ खाते को डेबिट किया जाएगी क्योंकि रोकड़ वास्तविक खाता है।
रोजनामचा का विभाजन क्या है ?
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