निराधार बिग बैंग थ्योरी की सच्चाई (The Truth Of False Big Bang Theor

निराधार बिग बैंग थ्योरी की सच्चाई (The Truth Of False Big Bang Theory)



जब आप किसी Science Student से यह सवाल करते होंगे की हमारा ब्रह्माण्ड कैसे बना  ? तो वह बिना किसी तर्क के झट से यही जवाब देता होगा कि यह ब्रह्माण्ड बिग बैंग थ्योरी ( Big Bang Theory ) से बना। और सामान्यतः आजकल की Physics की किताबो में भी आपको यही पढ़ने को मिलेगा। आज  के इस आर्टिकल में हम logically यह देखेंगे की पश्चिमी देशो के द्वारा माननी गयी यह बिग बैंग थ्योरी कितनी सच है।

निराधार बिग बैंग थ्योरी की सच्चाई (The Truth Of False Big Bang Theory)

दोस्तों जहाँ तक मैं जानता हु कि आपको बिग बैंग थ्योरी ( Big Bang Theory ) के बारे में पता होगा। लेकिन फिर भी अगर किसी भाई को नहीं पता है तो मैं संक्षेप में बिग बैंग थ्योरी को अपने शब्दों में आपको समझाता हूँ उसके बाद आगे का बढ़ेंगे, और जानेंगे कि तर्क की कसौटी पर Big Bang Theory कितनी खरी उतरती है ?

क्या है बिग बैंग थ्योरी ( Big Bang Theory ) –
पश्चिमी देशो के अनुसार लगभग बारह से चौदह अरब वर्ष पूर्व जब कुछ भी नहीं था तब सम्पूर्ण ब्रह्मांड एक परमाण्विक इकाई यानी एक बहुत छोटे बिंदु (इतना छोटा की जिसको देखा नही जा सकता ) के रूप में था। फिर अचानक से एक बहुत बड़ा विस्फोट हुआ जिस से अत्यधिक ऊर्जा का उत्सजर्न हुआ, और सारा ब्रह्माण्ड फैलने लगा। यह ऊर्जा इतनी अधिक थी जिसके प्रभाव से आज तक ब्रह्मांड फैलता ही जा रहा है। बिग बैंग सिद्धांत के आरंभ का इतिहास आधुनिक भौतिकी में जॉर्ज लेमैत्रे ने लिखा हुआ है जो एक रोमन कैथोलिक पादरी और वैज्ञानिकथे । हालाँकि इसका कोई तथ्य कोई प्रमाण मौजूद नहीं है फिर भी यह सिद्धांत आजकल बहुत प्रचलन में है। आशा है की आप इतना समझ गए होंगे की बिग बैंग थ्योरी क्या है और यदि आपको इसके बारे में और अधिक विस्तार से जानना है तो आप हमारी यह पोस्ट पढ़ सकते हैं –  बिग बैंग थ्योरी क्या है ?

तर्क की कसौटी पर बिग बैंग थ्योरी कितनी खरी उतरती है ?
जैसे कि अपने ऊपर पढ़ा कि बिग बैंग थ्योरी के अनुसार अचानक एक बिंदु जिसमे कोई द्रव्यमान नहीं, जिसका कोई तापमान नहीं, जिसका कोई घनत्व नहीं उस से एक बड़ा धमाका हुआ और फिर सारा ब्रह्माण्ड ( Universe ) अस्तित्व में आ गया। जो नामुमकिन सा लगता है।

जिस बिंदु में कुछ नहीं था उस बिंदु से सब कुछ कैसे आ सकता है ?
अगर ऐसे ही अचानक यह विस्फोट हो गया था तो फिर अब कही ऐसे ही हवा में अचानक क्यों विस्फोट नहीं हो जाता है,  क्योंकि अगर बिना कारण धमाका हुआ तो अब भी तो बिना कारण छोटे बड़े धमाके होने चाहिए, सिर्फ उसी वक़्त क्यों हुआ ?
चलो हम मान लेते हैं की ईश्वर ने यह ब्रह्माण्ड बनाया किन्तु जब ईश्वर सब जगह व्याप्त है, तो फिर विस्फोट करने की जरुरत ही क्या थी ?
बिग बैंग थ्योरी को मानने वाले मानते हैं की उस बिंदु से अचानक एक धमाके के साथ Nothing से Everything पैदा हुआ। लेकिन जमीनी हकीकत तो यह है कि Nothing से Everything तो दूर की बात है Nothing से Something भी पैदा नहीं हो सकता।
इस सिद्धान्त के अनुसार विस्फोट अपने आप हुआ । इसका कारण नहीं दिया जबकि बिना कारण और कर्त्ता के कुछ नहीं हो सकता ।
यदि अचानक एक धमाके से यह सारा ब्रह्माण्ड बन गया तो फिर जीव जंतु जिनमे भी जीवन है वह कैसे बन गए ?  अगर नास्तिक लोग कहे की यह सब कुछ अपने आप हो गया तो जीव जन्तुओ का पूरक पेड़ पौधों का बनाना और पेड़ पौधों का पूरक जीव जन्तुओ का बनना भी सामान्य नहीं लगता। 
बिग बैंग थ्योरी को आधा अधूरा बताया गया है जिस से बहुत सारे सवाल मन में आते हैं, और मन को एक संतोषपूर्ण उत्तर नहीं मिलता। अगर आप भी बिग बैंग थ्योरी पर थोड़ा गौर करेगे और तर्क वितर्क करेंगे और सोचेंगे तो आपको भी लगेगा की बिग बैंग थ्योरी ( Big Bang Theory ) एक काल्पनिक और निराधार थ्योरी है, जिसका सच्चाई से दूर-दूर तक कोई लेना देना नहीं। आइये अब थोड़ा प्राचीन शाश्त्रो के अनुसार सृष्टि की उत्पत्ति के बारे में जानते हैं।

धार्मिक और मत पंथो के अनुसार ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति
वैदिक धर्म ( हिन्दुओ) के अनुसार सृष्टि की उत्पत्ति –
वेदो में सृष्टि उत्पत्ति की जो बात कही गयी है वह विचारणीय है, क्योंकि वेदो में सृष्टि के निर्माण अच्छे से समझाया गया है, जिसको एक वैदिक वैज्ञानिक आचार्य अग्निब्रत नैष्ठिक ने वेदो का गहन अध्ययन करने के पश्चात् अपनी 2800 पन्नो की एक पुस्तक वेद विज्ञान आलोक में  बारीकी से समझाया है और सृष्टि निर्माण के इस सिद्धांत को उन्होंने नाम दिया है वैदिक रश्मि सिद्धांत ( Vaidik Rashmi Sidhant )। अब 2800 पन्नो की बात तो मैं यहाँ इतने कम समय में समझा नहीं सकता लेकिन संक्षेप में बता सकता हूँ।

वैदिक रश्मि थ्योरी के अनुसार शुरुवात में ब्रह्माण्ड अपनी मूल अवस्था में पुरे अनन्त तक फैला हुआ था, किन्तु  यह निष्क्रिय अवस्था ( Inactive mode ) में था। जिसमे तापमान, घनत्व, बल, गति, समय, दिशा, सब कुछ शून्य था। जिसको किसी भी तरह जाना नहीं जा सकता था। सारा Matter अत्यंत शांत अवस्था में था। अब इस बात को हम सब जानते हैं की ईश्वर अनंत है और सब जगह है उस Matter में भी था जो तब निष्क्रिय अवस्था में था तब ईश्वर ने उस प्रकृति को ॐ रश्मि द्वारा सर्वत्र प्रेरित किया। प्रथम प्रेरणा से ॐ रश्मि प्रकट होकर उस निष्क्रिय मैटर को प्रेरित करके उसके गुणों को जाग्रित कर देती है। और इस तरह से प्रकृति के गुण जागृत हो जाते हैं और क्रमशः बनता जाता है जिसको आप नीचे दिए चित्र में देख सकते हैं।

निराधार बिग बैंग थ्योरी की सच्चाई (The Truth Of False Big Bang Theory)

अगर और भी अधिक गहराई से इसको जानना है समझना है तो आप VedRiashi.com  से वेद विज्ञान अलोक किताब मंगवा कर अध्ययन कर सकते हैं।

ईसाइयत के अनुसार सृष्टि की उत्पत्ति –
बाइबिल के प्रथम चैप्टर जिसका नाम है उत्पत्ति उसके अनुसार परमेश्वर ने कहा उजियारा हो जा , और उजाला हो गया। फिर परमेश्वर ने कहा पेड़ पौधे हो जा और हो गए।  मतलब परमेश्वर ने जो कहा वो सब फटाफट हो गया और 6 दिन में सब कुछ बन गया।  ये बात भी कतई गले से नहीं उतरती। क्योंकि ईश्वर कभी बोलता नहीं है उसको जो करना होगा वह डायरेक्ट करेगा। क्योंकि बोलने का सहारा हम जीव  लेते हैं, और अपनी इन्द्रियों से सुनते हैं, देखते हैं, बोलते हैं, महसूस करते हैं ईश्वर को किसी भी चीज के लिए इन्द्रियों की या शरीर की आवश्यकता नहीं पड़ती।  क्योंकि वह जो करना चाहता है डायरेक्ट करेगा बोलने की जरुरत ही नहीं। बाइबिल की इस बात को कोई भी वैज्ञानिक नहीं मानता।

इस्लाम के अनुसार सृष्टि की उत्पत्ति –
वह वही तो है जिसने सारे आसमान व ज़मीन को छह: दिन में पैदा किए फिर अर्श (के बनाने) पर आमादा हुआ जो चीज़ ज़मीन में दाखिल होती है और जो उससे निकलती है और जो चीज़ आसमान से नाज़िल होती है और जो उसकी तरफ चढ़ती है (सब) उसको मालूम है और तुम (चाहे) जहाँ कहीं रहो वह तुम्हारे साथ है और जो कुछ भी तुम करते हो ख़ुदा उसे देख रहा है | सूरा 57 हदीद=आ-4

ख़ुदा ही तो है जिसने सारे आसमान और ज़मीन और जितनी चीज़े इन दोनो के दरमियान हैं छह: दिन में पैदा की फिर अर्श (के बनाने) पर आमादा हुआ उसके सिवा न कोई तुम्हारा सरपरस्त है न कोई सिफारिशी तो क्या तुम (इससे भी) नसीहत व इबरत हासिल नहीं करते | सूरा 32सिजदा-आ० 4

ये सारी बातें भी बड़ी हास्यास्पद सी लगती हैं इसलिए इनपर माथापच्ची करने का कोई मतलब नहीं।

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