अंतरराष्ट्रीय विधवा दिवस (23 जून): (23 June: International Widow Day )
अन्तरराष्ट्रीय विधवा दिवस पूरे विश्व में प्रतिवर्ष 23 जून को मनाया जाता है।
अंतरराष्ट्रीय विधवा दिवस का इतिहास:
विश्व में मौजूद सभी विधवाओं को समाज की मुख्यधारा में लाने हेतु संयुक्त राष्ट्र आम सभा (यूएनजीए) ने 23 जून 2011 को पहला अंतरराष्ट्रीय विधवा दिवस मनाने की घोषणा की। वर्ष 2011 से अंतरराष्ट्रीय विधवा दिवस विश्व के इस शोषित वर्ग के उत्थान के लिए मनाया जा रहा है।
विदित हो कि ब्रिटेन की लूम्बा फाउन्डेशन विश्वभर में विधवाओं के खिलाफ होने वाले अत्याचारों को लेकर 7 वर्षों से संयुक्त राष्ट्र संघ में अभियान चला रहे थे। इसी संस्था के प्रयास से संयुक्त राष्ट्र में विधवाओं के खिलाफ जारी अत्याचारों के आंकड़ों के आधार पर विधवा दिवस घोषित किया।
अंतरराष्ट्रीय विधवा दिवस का उद्देश्य:
यह दिवस विधवा महिलाओं की समस्याओं की प्रति जागरुकता फ़ैलाने के लिए मनाया जाता है। यह दिवस विधवाओं की स्थिति पर प्रकाश डालता है जिससे पता चलता है कि उन्हें समाज में किस प्रकार की उपेक्षा एवं दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। ज्यादातर नागरिक समाज संगठन भी समाज के इस उपेक्षित वर्ग की अनदेखी करते हैं।
आमतौर पर विधवाओं को समाज से बहिष्कार जैसी स्थिति से गुजरना पड़ता है। विधवाओं एवं उनके बच्चों के साथ किया जाने वाला दुर्व्यवहार मानव अधिकारों की श्रेणी में गंभीर उल्लंघन है।
अंतरराष्ट्रीय विधवा दिवस से सम्बंधित महत्वपूर्ण सामान्य ज्ञान जानकारी:
- अन्तरराष्ट्रीय विधवा दिवस 23 जून को दुनिया भर में मनाया जाता है। सभी उम्र, क्षेत्र और संस्कृति की विधवाओं की स्थिति को विशेष पहचान देने के लिए संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 23 जून, 2011 को पहली बार अन्तरराष्ट्रीय विधवा दिवस की घोषणा की थी, जो प्रतिवर्ष मनाया जाएगा।
- विधवाओं और उनके बच्चों से दुर्व्यवहार मानव अधिकारों का सबसे गंभीर उल्लंघन और आज के विकास में सबसे बड़ी बाधाओं में से एक है।
- दुनिया की लाखों विधवाओं को गरीबी, बहिष्कार, हिंसा, बेघर, बीमार स्वास्थ्य जैसी समस्याएं और क़ानून व कस्टम में भेदभाव सहन करना पड़ता है।
- एक अनुमान के अनुसार 115 मिलियन विधवाएं गरीबी में रहती हैं और 81 मिलियन शारीरिक शोषण का सामना करती हैं।
- एक अनुमान के अनुसार 40 मिलियन विधवाएं भारत में रहती हैं। 15000 विधवाएं उत्तर प्रदेश में मथुरा के पवित्र शहर वृंदावन की सड़कों पर अकेले रहती हैं।
- आमतौर पर विधवाओं को समाज से बहिष्कार जैसी स्थिति से गुजरना पड़ता है। विधवाओं एवं उनके बच्चों के साथ किया जाने वाला दुर्व्यवहार मानव अधिकारों की श्रेणी में गंभीर उल्लंघन है।
विधवा संरक्षण विधेयक:
सुलभ इंटरनेशनल के संस्थापक बिंदेश्वर पाठक ने भारत में विधवाओं के संरक्षण के लिए एक विधेयक का मसौदा तैयार किया। संसद के बजट सत्र में वृंदावन में रहने वाली हज़ारों विधवाओं की सहायता के लिए एक विधवा संरक्षण विधेयक को बनाने की इच्छा व्यक्त की गई।
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