विश्व रक्तदान दिवस (विश्‍व रक्‍तदाता दिवस) 14 जून: (14 June World Blood Donor Day)

विश्व रक्तदान दिवस (विश्‍व रक्‍तदाता दिवस) 14 जून: (14 June World Blood Donor Day)



विश्व रक्तदान दिवस (विश्व रक्त दाता दिवस) का इतिहास:
विश्व रक्तदान दिवस प्रत्येक वर्ष 14 जून को पूरे विश्व के बहुत सारे देशों में लोगों के द्वारा मनाया जाता है इसे विश्‍व रक्‍त दाता दिवस भी कहा जाता है। इसे हर वर्ष 14 जून को 1868 में पैदा हुए “एबीओ रक्त समूह” की खोज करने वाले, नोबेल पुरस्कार विजेता, कार्ल लैंडस्टीनर के जन्मदिन पर मनाया जाता है।

विश्व रक्तदान दिवस क्यों मनाया जाता है?
स्वस्थ व्यक्ति के द्वारा स्वेच्छा से और बिना पैसे के सुरक्षित रक्त दाता (इसके उत्पाद सहित) की जरुरत के बारे में लोगों की जागरुकता बढ़ाने के लक्ष्य से वर्ष 2004 में पहली बार इस कार्यक्रम को मनाने की शुरुआत की गयी थी। यह दिन रक्तदान की आवश्यकता के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए मनाया जाता है।

विश्व रक्तदान दिवस मनाने की शुरुआत कब हुई?
वर्ष 2004 में “विश्व स्वास्थ्य संगठन, अंतरराष्ट्रीय रेड क्रॉस संघ तथा रेड क्रिसेंट समाज” के द्वारा 14 जून को वार्षिक तौर पर मनाने के लिये पहली बार इसकी शुरुआत और स्थापना की गयी थी।
वर्ष 2004 से अब तक के सभी विश्व रक्तदान दिवस की थीम (विषयवस्तु):
वर्ष थीम (विषयवस्तु)

  • 2015 “मेरा जीवन बचाने के लिये धन्यवाद।”
  • 2014 “माताओं को बचाने के लिये रक्त बचायें।”
  • 2013 “जीवन का उपहार दें:रक्त-दान करें।”
  • 2012 “हर खून देने वाला इंसान हीरो होता है।”
  • 2011 “अधिक रक्त, अधिक जीवन।”
  • 2010 “विश्व के लिये नया रक्त।”
  • 2009 “रक्त और रक्त के भागों का 100% गैर-वैतनिक दान को प्राप्त करना।”
  • 2008 “नियमित रक्त दें।”
  • 2007 “सुरक्षित मातृत्व के लिये सुरक्षित रक्त।”
  • 2006 “सुरक्षित रक्त के लिये विश्वव्यापी पहुँच को सुनिश्चित करने के लिये प्रतिबद्धता।”
  • 2005 “रक्त के आपके उपहार को मनायें।”
  • 2004 “रक्त जीवन बचाता है। मेरे साथ रक्त बचाने की शुरुआत करें”
  • किन लोगों को रक्तदान नहीं करना चाहिए?


यदि आपको निम्नलिखित परेशानियाँ हैं तो कृपया रक्तदान न करें:-

  • यदि आपका एचआईवी या हेपेटाइटिस परीक्षण सकारात्मक हैं।
  • यदि हाल ही में, आपने टैटू गुदवाया हो।
  • यदि आप किसी भी रक्त के थक्के संबंधी विकार से पीड़ित हो।
  • यदि आपको पिछले छह से बारह महीनों में दिल का दौरा पड़ा हो।
  • यदि आप गर्भवती हैं।
  • यदि आप अंतःशिरा दवाओं का दुरुपयोग करते हो।
  • यदि हाल ही में, आपको मलेरिया का हुआ हो।
  • यदि आपने पिछले वर्ष के दौरान खून, प्लाज्मा या अन्य रक्त घटकों को प्राप्त किया हो।
  • यदि आपने पिछले वर्ष कार्डियक सर्जरी करवाई हो।
  • यदि आप हृदय रोग की दवाओं का सेवन कर रहे हो।
  • यदि आपने हाल ही में गर्भपात करवाया हो।
  • यदि आपने कैंसर के उपचार हेतु कीमोथेरेपी/विकिरण प्राप्त की हो।
  • यदि आप मध्यम या गंभीर तरह की रक्ताल्पता से पीड़ित हो।रक्तदान से पहले ज़रूरी सावधानियों क्या हैं?
  • अधिक से अधिक मात्रा में पानी तथा तरल पदार्थों का सेवन करें।
  • कैफीन युक्त पेय पदार्थों के सेवन से बचें।
  • किसी भी तरह की प्रतिक्रियाओं के जोखिम को कम करने के लिए अच्छी तरह से खाएं। आपको आयरन से भरपूर खाद्य पदार्थों का सेवन करने की सलाह दी जाती है।

रक्तदान के सम्बन्ध में चिकित्सा विज्ञान:

  • आमजन को यह पता होना चाहिए कि मनुष्य के शरीर में रक्त बनने की प्रक्रिया हमेशा चलती रहती है और रक्तदान से कोई भी नुकसान नहीं होता बल्कि यह तो बहुत ही कल्याणकारी कार्य है जिसे जब भी अवसर मिले संपन्न करना ही चाहिए।
  • रक्तदान के सम्बन्ध में चिकित्सा विज्ञान कहता है, कोई भी स्वस्थ्य व्यक्ति जिसकी उम्र 16 से 60 साल के बीच हो, जो 45 किलोग्राम से अधिक वजन का हो और जिसे जो एचआईवी, हेपाटिटिस बी या हेपाटिटिस सी जैसी बीमारी न हुई हो, वह रक्तदान कर सकता है।
  • एक बार में जो 350 मिलीग्राम रक्त दिया जाता है, उसकी पूर्ति शरीर में चौबीस घण्टे के अन्दर हो जाती है और गुणवत्ता की पूर्ति 21 दिनों के भीतर हो जाती है। दूसरे, जो व्यक्ति नियमित रक्तदान करते हैं उन्हें हृदय सम्बन्धी बीमारियां कम परेशान करती हैं।
  • रक्त की संरचना ऐसी है कि उसमें समाहित लाल रक्त कोशिकाएँ तीन माह में (120 दिन) स्वयं ही मर जाते हैं, लिहाज़ा प्रत्येक स्वस्थ्य व्यक्ति तीन माह में एक बार रक्तदान कर सकता है। जानकारों के मुताबिक आधा लीटर रक्त तीन लोगों की जान बचा सकता है।
  • चिकित्सकों के मुताबिक रक्त का लम्बे समय तक भण्डारण नहीं किया जा सकता है।

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