Dr. Ambedkar Real World Story

वियतनाम विश्व का एक छोटा सा देश है जिसने अमेरिका जैसे बड़े बलशाली देश को झुका दिया। 

लगभग बीस वर्षों तक
चले युद्ध में अमेरिका पराजित हुआ। अमेरिका पर विजय के बाद वियतनाम के राष्ट्राध्यक्ष से एक पत्रकार ने एक सवाल पूछा.....

जाहिर सी बात है कि सवाल यही होगा कि आप युद्ध कैसे जीते या अमेरिका को कैसे झुका दिया ??

पर उस प्रश्न का दिए गए उत्तर को सुनकर आप हैरान रह जायेंगे और आपका सीना भी गर्व से भर जायेगा।

दिया गया उत्तर पढ़िये।

सभी देशों में सबसे शक्ति शाली देश अमेरिका को हराने के लिए मैंने एक महान व् श्रेष्ठ भारतीय नेता  का चरित्र पढ़ा। और उस जीवनी से मिली प्रेरणा का प्रयोग कर हमने सरलता से विजय प्राप्त की। 

आगे पत्रकार ने पूछा, "कौन थे वो महान नेता  ?"

मित्रों जब मैंने पढ़ा तब से जैसे मेरा सीना गर्व से चौड़ा हो गया, आपका भी सीना गर्व से भर जायेगा।

वियतनाम के राष्ट्राध्यक्ष ने
खड़े होकर जवाब दिया..., "वो थे भारत के महान नेता भीमराव आंबेडकर !! जिन्होंने अगड़ों की दबंगई के खिलाफ संघर्ष किया "

बाबा साहेब भीम राव आंबेडकर  का नाम
लेते समय उनकी आँखों में एक वीरता भरी चमक थी। 

आगे उन्होंने कहा... "अगर ऐसे महान व्यक्ति  ने हमारे देश में जन्म लिया होता तो हमने सारे विश्व पर राज किया होता।"

कुछ वर्षों के बाद उस राष्ट्राध्यक्ष की मृत्यु हुई तो जानिए उसने अपनी समाधि पर क्या लिखवाया, 
"यह भीम राव आंबेडकर  के एक शिष्य की समाधि है !!"

कालांतर में वियतनाम के
विदेशमंत्री भारत के दौरे पर आए थे। 

पूर्व नियोजित कार्य क्रमानुसार उन्हें पहले लाल किला व बाद में गांधीजी की समाधि दिखलाई गई। 

ये सब देखते  हुए उन्होंने पूछा, "महान भीम राव आंबेडकर की समाधि कहाँ है ?"

तब भारत सरकार के अधिकारी चकित रह गए,  और उनहोंने वहाँ मुंबई के दादर स्थित चैत्य भूमि का उल्लेख किया।

वियतनाम के विदेशमंत्री मुंबई  गये, वहाँ उनहोंने बाबा साहेब  की समाधि के दर्शन किये।

समाधी के दर्शन करने के बाद उन्होंने समाधि के पास की मिट्टी उठाई और उसे अपने बैग में भर लिया इस पर पत्रकार ने मिट्टी रखने का कारण पूछा !!

उन विदेशमंत्री महोदय ने कहा "ये मिट्टी बाबा साहेब के चरणों  की है। इस मिट्टी में एक महान् नेता  ने जन्म लिया है। ये मिट्टी मैं अपने देश की मिट्टी में मिला दूंगा... ताकि मेरे देश में भी ऐसे ही नेता  पैदा हो।"

बाबा साहेब भीम राव आंबेडकर को  केवल भारत का गर्व न होकर सम्पूर्ण विश्व का गर्व होना चाहिए।

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